Some major breeds of Indian dogs (भारतीय कुत्तों की कुछ प्रमुख नस्लें)

आज हम आपको Some major breeds of Indian dogs के बारे में बताने जा रहे हैं तो आइये, जाने Some major breeds of Indian dogs, अगर कहीं भी वफ़ादारी की चर्चा चले तो, कुत्ते का नाम दिमाग में न आये ऐसा हो, मुमकिन नहीं क्योंकि कुत्ते से वफादार कोई दूसरा प्राणी इस धरती पर शायद ही कोई हो, यही कारण है कुत्ते और इंसान का साथ कुछ समय से नहीं बल्कि पुरातन काल से चला आ रहा है।
कुत्ता एक ऐसा प्राणी है जो इंसान की आँखों से ये जान लेता है कि उसका मालिक खुश है या दुखी अगर उसका मालिक खुश होता है तो उसका कुत्ता भी खुश रहता है और मालिक के दुखी होने पर उसके साथ आंसूं भी बहाता है इसी लिए कुत्ते से हर इंसान प्यार करना चाहता है और उसे अपने घर में भी पालता है।
वैसे तो आज हर कोई कुत्ते को पालने वाले शौकीन भारतीय नस्लों को छोड़कर विदेशी नस्लों को ज्यादा पसंद करते और पालते हैं और इसके लिए बहुत ज्यादा पैसा भी खर्च करते हैं लेकिन हम आपको बता दें भारत में भी कुछ बहुत अच्छी नस्लों के कुत्ते हैं पालने के लिए आज के इस लेख में हम आपको Some major breeds of Indian dogs, के बारे में बताने जा रहे हैं तो आइये जानते हैं Some major breeds of Indian dogs in Hindi,
- 1- Pariah (परिअह )
- 2- Mudhol hound (मुधोल हाउंड )
- 3- Chippiparai (चिप्पीपराई)
- 4- Rajapalayam ( राजपलायम )
- 5- Kanni ( कन्नी )
- 6- Kombai ( कोम्बाई )
- 7- Tibetan mastiff ( तिब्बती मैस्टिफ )
- 8- Rampur greyhound (रामपुर ग्रेहाउंड )
- 9- Jonangi ( जोनांगी)
- 10- Kumaon mastiff ( कुमाऊँ मैस्टिफ )
- 11- Bakharwal ( बखरवाल )
Pariah (परिअह )

ये कुत्ते वह कुत्ते हैं जो आपको घर से निकलते ही हर गली मोहल्ले में भागते और दौड़ते मिल जाएंगे। देखा जाए तो ये कुत्ते आधे जंगली और आधे पालतू होते हैं लेकिन पालने के लिए ये बहुत ही अच्छे कुत्ते हैं और बहुत ही वफादार कुत्ते होते हैं। ये आपको भारत में ही नहीं बल्कि पूरी एशिया में मानव बस्तियों के आस-पास मिल जाएंगे।
इन कुत्तों को पालना बहुत ज्यादा आसान होता है ये कुत्ते यहाँ की जलवायु में इस कदर ढल चुके होते हैं कि ये हर परिस्तिथि में अपने आपको आसानी से ढल लेते हैं और न के बराबर बीमार पड़ते हैं जिसके कारण इनके पलने पर कोई अतिरिक्त खर्च भी नहीं आता है, जहाँ तक इनके खाने का सवाल है तो ये जो आप कहते हैं उसी पर अपना गुजरा बहुत आराम से कर लेते हैं और अपना पेट भर लेते हैं।
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अगर आप कोई विदेशी कुत्ता पालने के लिए लाते हैं तो पहले ही आपको उसके खरीदने के लिए एक अच्छा पैसा खर्च करना पड़ेगा लेकिन ये कुत्ता आपको बहुत ही आसानी से बिना पैसों के कहीं से भी उपलब्ध हो जायेगा। तो खरीदने और इसके खाने या इसकी बीमारी में आपको बिल्कु न के बराबर पैसा खर्च करना होगा और वफादारी इस कुत्ते से आपको मिलेगी भरपूर, पहले अपनी जान देगा तब कोई खतरा बढ़ सकता है आपकी और इस कुत्ते के जीते जी आप बिल्कुल सुरक्षित हैं।
Mudhol hound (मुधोल हाउंड )

इस कुत्ते को कई नामों से जाना जाता है जैसे- मराठा हाउंड, पश्मी हाउंड,कथेवार डॉगऔर कारवां हाउंड। ये प्रजाति कर्नाटक के इलाके में ज्यादा पायी जाती है और हम अगर इसके शिकार करने कि क्षमता के बारे में बात करें तो ये जर्मन शेफर्ड से दोगुनी शक्ति और रफ़्तार से अपने शिकार पर झपटते हैं।
कर्नाटक के इलाके में इसे करवानी नाम से जाना जाता है अगर वफादारी कि बात कि जाए तो इस कुत्ते का कोई जवाब नहीं इसकी स्वामी भक्ति गजब कि होती है इसलिए इसे बहुत से लोग पालना पसंद करते हैं। भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी कर्नाटक कि एक सभा में बोलते हुए स्वामी भक्ति के लिए इस कुत्ते का नाम लिया था अब आप इसकी स्वामी भक्ति के बारे में खुद ही अंदाज़ा लगा सकते हैं।
अंग्रेजों के समय से ही इस प्रजाति को बहुत ही प्रसिद्धि प्राप्त है और अगर हम स्वतंत्र भारत कि बात करें तो २०१७ में इन्हें सेना में शामिल किया गया था और इसका कारन है इनकी चुस्ती-फुर्ती और इनके शिकार करने के अद्भुत क्षमता।
Chippiparai (चिप्पीपराई)

दक्षिण भारत में तमिलनाडु के इलाकों में ये प्रजाति सायहाउंड कि ही एक नस्ल है इसकी टाँगे लम्बी होती हैं जो इसे तेज़ दौड़ने में मदद करती हैं और ये शरीर से भी दुबले-पतले होते हैं लेकिन चुस्ती-फुर्ती कि इनमे कोई कमी नहीं होती है। इस नस्ल का नाम मदुरै के शहर जो तमिलनाडु राज्य का एक भाग है जिसका नाम चिप्पीपराई है उसी पर रखा गया है।
देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक बार मन की बात में इस नस्ल का नाम लिया था। आपको पेरियार झील के पास भी इस नस्ल के कुत्ते काफी देखने को मिलेंगे जो केरल का भाग है। अगर ये कहा जाए कि ये कुत्ते शिकार करने के लिए ही बने हैं तो गलत नहीं होगा ये एक अच्छे शिकारी होते हैं।
ये बहुत तेज़ भागते हैं और सबसे कमल कि इनकी ऊँची छलांग लगाने कि क्षमता होती है ये १० फिट तक ऊँची छलांग लगा लेते हैं। ये कई रंगों में पाए जाते हैं लेकिन मादा सफ़ेद रंग में ज्यादा देखने को मिलती है। वैसे ये हलके पीले, काले,लाल भूरे, और सिल्वर कोट में पाए जाते हैं।
Rajapalayam ( राजपलायम )

इस प्रजाति को राजपलायम के नाम से तो जाना ही जाता है साथ ही इंडियन घोस्ट, शिकार हाउंड और पॉलीगर हाउंड के नाम से भी जाना जाता है। ये एक दक्षिण भारतीय तमिलनाडु कि ही एक नस्ल है। वैसे हम आपको बता दें कि इस नस्ल का नाम तमिलनाडु राज्य के एक जिले विरुधुनगर के एक शहर राजपलायम के नाम पर रखा गया है।
ये नस्ल अपनी बुद्धिमानी, बहादुरी और चुस्ती-फुर्ती के लिए जानी जाती है,इसे लोग मुख्य रूप से जंगली सूअरों के शिकार और रखवाली करने के लिए पालते हैं। वासी इनका जीवन काल १०- १५ साल होता है लेकिन २० साल तक ये आराम से जीवन जीते देखे गए हैं।
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२००५ में भारतीय डाक सेवा ने ४ कुत्तों के सम्मान में इस नस्ल के कुत्तों का एक डाक टिकट जारी किया था, जहाँ और टिकेटों कि कीमत पांच रुपया थी तो वहीँ इन टिकट कि कीमत भारतीय डाक सेवा द्वारा १५ रुपया राखी गयी थी जो इस नस्ल के लिए सम्मान दर्शाता है।
Kanni ( कन्नी )

ये कुत्ते की नस्ल तमिलनाडु में पायी जाने वाली दुर्लभ स्वदेशी भारतीय आठवीं नस्ल है, कन्नी का अर्थ होता है ‘शुद्ध’ इसे ये नाम इसकी वफादारी और शुद्ध सच्चे मन के लिए दिया गया है। इस नस्ल के कुत्ते किसी भी हल में अपने मालिक और घर की रक्षा मरते दम तक करते हैं इसलिए इस कुत्ते की नस्ल को वफादारी के लिए याद किया जाता है।
पहले जमींदार लोग अपने घरों और खेतों की सुरक्षा के लिए इन नस्ल के कुत्तों को ही ज्यादा पला करते थे। वैसे देखा जाए तो कन्नी और चिप्पीपराई दोनों ही नस्ल के कुत्ते देखने में लगभग एक जैसे ही दिखाई देते हैं इनमे काफी समानताएं पायी जाती हैं लेकिन दोनों ही नस्लें अलग-अलग होती हैं।
इस नस्ल के कुत्तों की उम्र १४ से १६ साल क्वे लगभग होती है मुख्य रूप से ये जंगली जानवरों के शिकार के लिए पाले जाते हैं। अगर आप इस नस्ल के कुत्ते को पालना चाहते हैं तो आपको ये कुत्ता ६ से ८ हज़ार में आसानी से मिल जाएगा।
Kombai ( कोम्बाई )

दौड़ लगाने में तेज़, स्वामी भक्ति से मन मोह लेने वाला और ताकतवर कुत्ते की अगर आपको तलाश है घर में पालने के लिए तो ये कोम्बाई नस्ल आपके लिए एक नस्ल है और इसे पालने का प्लान आप बना सकते है। दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य के कोम्बाई शहर के नाम पर ही इस नस्ल का नाम रखा गया है।
सीाआरएफ में भी इस नस्ल को इसकी विशेषताओं के कारण भर्ती किया गया है इस नस्ल के कुत्ते आपके घर पर शांत रहकर चुपचाप आपके घर की निगरानी करने में माहिर होते हैं अगर आपके घर पर इस नस्ल का कुत्ता पल रहा है तो फिर आपको अपने घर की सुरक्षा की चिंता करने की कोई भी ज़रुरत नहीं है आप बिल्कुल बेफिक्र हो सकते हैं।
Tibetan mastiff ( तिब्बती मैस्टिफ )

यह एक बड़ी नस्ल का कुत्ता है जो तिब्बती मूल से आता है, तिब्बत की जलवायु के अनुसार इसका कोट डबल कोट और लम्बा होता है ये कई रंगों में पाया जाता है। इनका आकर बड़ा होता है और समय आने पर ये गुलदार, तेंदुए और शेर से भी भिड़ जाते है ये बात इन्हें सबसे अलग बनाती है।
ये अधिकतर कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड जैसे हिमालय के क्षेत्रों में पाए जाते हैं। यहाँ के चरवाहे अपनी और अपनी भेड़ों की सुरक्षा के लिए इन्हें पालना पसंद करते हैं अपनी स्वामी भक्ति के लिए इन्हें जाना जाता है। केवल दो कुत्ते ही लगभग ५०० भेड़ों की सुरक्षा जंगली जानवरों से कर लेते हैं।
इस नस्ल के कुत्ते दुनिया की सबसे महंगी नस्ल में से एक मैस्टिफ जैसे ही दिखाई देते हैं ये माना जाता है कि ये उसी कि क्रॉस ब्रीड हैं। जिस प्रकार से इनका खान-पान है उसी प्रकार से इनके शरीर में शक्ति भी पायी जाती है।
Rampur greyhound (रामपुर ग्रेहाउंड )

दिल्ली और बरेली के बीच स्तिथ रामपुर शहर के मूल निवासी ये कुत्ते २० वीं शताब्दी की शुरुआत में नवाव अहमद अली खान द्वारा अफगान हाउंड और इंग्लिश हाउंड की क्रॉस ब्रीड द्वारा ये स्वदेशी नस्ल तैयार करवाई गयी थी। वैसे ये कुत्ते आपको सुस्त पड़े दिखाई देंगे लेकिन इनमे गजब की फुर्ती होती है। Some major breeds of Indian dogs
ये नस्ल शिकार करने के उद्देश्य से ही तैयार कराई गयी थी जिसमे नवाब पूरी तरह से कामयाब हुए थे। वासी भले ही ये सुस्त से पड़े रहते हों लेकिन समय आने पर ये अपने शिकार को पलक झपकते ही दबोच लेते हैं।
सच में शिकार करने में इस कुत्ते का कोई सानी नहीं है। इस नस्ल के कुत्ते अपने मालिक की बात को बहुत अच्छी तरह से सुनते हैं और उसका पालन भी करते हैं। अगर आपको शिकार करने के लिए कुत्ता पालना है तो ये ब्रीड आपके लिए ही है।
Jonangi ( जोनांगी)

ये कुत्ते की भारतीय नस्ल आंध्र प्रदेश के कर्नाटक के कुछ हिस्सों और पश्चिमी बंगाल से लेकर तमिलनाडु तक के पूर्वी तटों पर पाए जाते हैं। इनका छोटा आकार और मुलायम बाल इन्हें और दुसरे कुत्तों से अलग करते हैं। ये खेतों और घरों की रखवाली के लिए पाले जाते हैं।
इनकी खास बात ये है कि ये परिवार में किसी एक व्यक्ति कि ही बात ज्यादा मानते हैं और उसके साथ ज्यादा वफादारी दिखाते हैं। इन कुत्तों में एक बहुत ही खास खूबी होती है कि इस नस्ल के कुत्ते गड्डा खोदने में माहिर होते हैं। वैसे आपके पालने के लिए ये एक आदर्श कुत्ता है।
Kumaon mastiff ( कुमाऊँ मैस्टिफ )

३०० ईशा पूर्व दुनिया जीतने के इरादे से निकले सिकंदर के साथ इस नस्ल का कुत्ता आया था ऐसा माना जाता है। देखने में ये कुत्ता एक सामान्य कुत्ता लगता है लेकिन समय आने पर ये शेर से भी भिड़ने के लिए तैयार रहता है। पूरा कुमांयु क्षेत्र एक पहाड़ी क्षेत्र है और यहाँ के लोगों के घरों में भेड़ें, बकरी और गाय बहुत पाली जाती हैं तो इस कुत्ते को इनकी रखवाली के लिए पाला जाता है।
आज ये एक दुर्लभ नस्ल है और भारत में लगभग २०० कुत्ते के होने का अनुमान लगाया जाता है। इन कुत्तों को पहाड़ों का रखवाला कहा जाता है। इस नस्ल के कुत्ते बड़ी नस्ल के कुत्तों में गिने जाते हैं। इनका शरीर दुबला लेकिन गठी मांसपेशियों वाला होता है। मजबूत गर्दन के साथ इनका सिर बड़ा होता है।
इन कुत्तों के शरीर पर सफ़ेद निशाँ होते हैं और इनकी ऊंचाई २८ इंच होती है। इन्हें साइप्रस डॉग भी कहा जाता है लेकिन आज इनकी संख्या बहुत ही कम है और अपनी कम संख्या के कारन ही ये केवल कुमांऊ क्षेत्र में ही सिमट कर रह गए हैं।
Bakharwal ( बखरवाल )

कई शाब्दियों से बकरवाल और गुर्जर खानाबदोश जनजातियों द्वारा इस नस्ल को पाला गया है ये नस्ल हमें उत्तरी भारत, उत्तरी पाकिस्तान, अफगानिस्तान और भारत के जम्मू -कश्मीर और हिमाचल के हिस्सों में पायी जाती है। दक्ष्णि एशिया कि ये एक बहुत पुरानी नस्ल है कहा जाता है कि इस नस्ल को परिअह और तिब्बती मैस्टिफ की क्रॉस ब्रीडिंग से तैयार किया गया है।
तो यह Some major breeds of Indian dogs के बारे में जानकारी थी इसमें से आपको अपनी ज़रूरतों के अनुसार जो ब्रीड पसंद आये आप पाल सकते हैं शर्तिया ये आपको बहुत सी विदेशी नस्लों से ज्यादा फायदेमंद रहेंगे।
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