Salmonellosis Disease in Parrot in Hindi
आइये जानते हैं तोते में गंभीर साल्मोनेलोसिस रोग के बारे में, तोता एक बहुत ही प्यारा और बुद्धिमान पक्षी है जिसके कारण इसे लोग अपने घरों में पालना पसंद करते हैं लेकिन जब भी हम कोई जानवर या पक्षी घर में पालते हैं तो वह हमारे परिवार के एक नए सदस्य की तरह ही हमारे लिए हो जाता है और परिवार में सबके साथ घुल-मिल जाता है जिससे सबके साथ उसका संपर्क बना रहता है। ऐसे में हमें उसमे होने वाली बीमारियों के बारे में ज़रूर जानकारी होनी चाहिए ताकि (salmonella in humans) हम अपने आपको भी और उसे भी परेशानी में पड़ने से बचा सकें। आइये जानते हैं तोते में गंभीर साल्मोनेलोसिस रोग के बारे में –
क्या है Salmonellosis Disease in Parrot

यह एक खतरनाक संक्रामक रोग है इसे हम टायफाइड, पेराटायफाइएड, या एंटीरिक फीवर भी कहते हैं और यह साल्मोनेला प्रजाति के वेक्टीरिया द्वारा होता है। यह एक जानलेवा बिमारी है अगर आप समय से इस पर ध्यान न दें तो आपके तोते की मौत भी हो सकती है। यह बिमारी जानवरों और कई प्रकार के पक्षियों को संक्रमित कर देती है। इंसानों के संपर्क में आने के बाद यह उनमे भी फ़ैल जाती है इसलिए इसे गंभीता से लें और इसके बारे में पूरी जानकारी रखें।
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क्या होता है Salmonella Bacteria
साल्मोनेला वेक्टीरिया की लगभग 1000 प्रजातियां हैं और इसमें से बहुत साड़ी प्रजातियां हानिकारक हैं जो रोग उत्पन्न करती हैं। नमी में यह वेक्टीरिया काफी लम्बे समय तक जिन्दा रहता है जबकि धूप और गर्मी से यह तुरंत मर जाता है। यह वेक्टीरिया पशुओं के गोबर, पानी, मिटटी और चारे में लगभग 7 महीने तक जिन्दा रहता है। इंसानों में यह रोग साल्मोनेला टायफी और साल्मोनेला पैराटायफी प्रजाति के बैक्टीरिया से फैलता है।
कैसे प्रसार होता है इस बिमारी का
यह पशु पक्षियों में संक्रमित मांस और अंडे खाने से फैलती है। जब इस बिमारी से संक्रमित कोई पक्षी के अंडे को या बिमारी से संक्रमित पशु या पक्षी के मांस का सेवन किया जाता है तो इसके वेक्टीरिया स्वाथ्य शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और उसे भी संक्रमित कर देते हैं।
symptoms of salmonella in parrots
इस बीमारी के लक्षण आसानी से पहचानने में नहीं आते हैं जिसके कारण पशु या पक्षी लम्बे समय तक इस वेक्टीरिया के संपर्क में बने रहते हैं। तोते में इस वेक्टीरिया के संक्रमण से दस्त लग जाते हैं और तोता खाना पीना कम कर देता है और लगातार कमजोर होता रहता है। तो वहीँ पशुओं में यह दस्त का कारण बनता है और पशुओं का गोबर सीमेंट या पुट्ठी के रंग या फर उसमे खून के थक्के भी दिखाई देते हैं।

कैसे प्रभाव डालता है वेक्टीरिया शरीर पर
यह वेक्टीरिया शरीर में आहार नाल के द्वारा पहुँचता है जो आंत की श्लेष्मक झिल्ली को काफी नुकसान पहुंचता है। वेक्टीरिया जो टोक्सिन छोड़ते हैं उससे रक्त स्राव और आँतों में सड़न हो जाती है और आँतों में सोडियम का अवशोषण घट जाता है जिसके कारण क्लोराइड की मात्रा बहुत बढ़ जाती है और इसी कारण गंभीर दस्त रोगी को लग जाते हैं और शरीर में पानी की कमी हो जाती है और मृत्यु तक हो सकती है।
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how to prevent salmonella in birds, बचाव के तरीके
जैसा कि हमने बताया इस रोग का वेक्टीरिया धूप में बहुत जल्दी मर जाता है और नमी में लम्बे समय तक जीवित रहता है तो अपने पशु पक्षी के रहने के स्थान पर नमी न रहने दें और साफ़-सफाई का पूरा ध्यान रखें और अपने पशु या पक्षी को ऐसे स्थान पर रखें जहाँ धूप उचित मात्रा में मिलती रहे। अगर कोई आपका पशु या पक्षी इस बिमारी से संक्रमित हो चूका है तो उसे तुरंत उन सबसे अलग कर दें। खुद भी उसके संपर्क में आने से बचें और उनके अंडे या मांस का सेवन बिलकुल भी न करें।
Treatment of salmonella in birds
Salmonellosis Disease in Parrot & birds इस बिमारी के वेक्टीरिया नवजात या ज्यादा उम्र के पशु-पक्षी को ज्यादा जल्दी अपना शिकार बना लेता हैं तो उनका ध्यान ज्यादा रखें और अगर फिर भी कोई पशुया पक्षी संक्रमित हो ही जाता है तो तुरंत किसी पशु-चिकित्सक के पास उसे तुरंत ले जाएँ।
क्या salmonellosis disease सिर्फ तोतों में ही होती है ?
नहीं, ये तोतों में ही नहीं बल्कि लगभग हर पशु-पक्षी में होती है और इंसान में भी इस बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं।
Birds में salmonellosis किस कारण होती है ?
इस बिमारी के साल्मोनेला वेक्टीरिया के कारण होता है तथा नमी के स्थानों और सफाई की उचित व्यवस्था न होने के कारण इसके बैक्टीरिया दूषित मांस और अंडे के द्वारा मनुष्य में भी पहुँच जाते हैं।
Salmonellosis disease के symptoms क्या हैं ?
इस बिमारी में दस्त लग जाते हैं और रोगी की भूख लगभग ख़त्म हो जाती है तथा शरीर में पानी की कमी हो जाती है।
क्या इस बिमारी का इलाज़ संभव है ?
हाँ, इस बिमारी का इलाज संभव है और रोगी पूरी तरह से स्वाथ्य हो जाता है।