Colorful fish ( रंगीन मछलियाँ )

आज इस लेख के द्वारा हम आपको ‘Colorful fish‘ की जानकारी देने जा रहे हैं। मछलियाँ मीठे पानी के स्रोतों जैसे नदी, तालाबों और समुद्र में बहुत बड़ी मात्रा में पायी जाती हैं। ये शल्क वाले जलीय प्राणी हैं जिनके कम से कम एक जोड़ी पंख भी होते हैं। इनके पास एक रीढ़ की हड्डी होती है जो बाकी हड्डियों से जुडी रहती है। इनके पास गिल्स होते हैं जिनकी सहायता से ये पानी से ऑक्सीजन सोखकर पानी के अंदर साँस लेती हैं।
मछलियों की लगभग 30000 प्रजाति अभी तक हमें ज्ञात हैं। ये ठन्डे खून के प्राणी हैं और अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित नहीं कर पाती हैं। ये पृथ्वी पर डायनासोर के समय से भी पहले से निवास कर रही हैं। आज धरती के सबसे बड़े प्राणी होने का खिताब भी मछली के पास ही है और वह मछली व्हेल मछली है जो 50 फिट तक बड़ी होती है।
मछली पालन एक बहुत पुराने समय से चला आ रहा है और आज के इस दौर में भी बहुत से लोगों के जीवन-यापन का जरिया बना हुआ है। मछलियाँ व्यवसायिक स्तर पर भी पाली जाती हैं और घर में शौक के तौर पर भी पाली जाती हैं यहाँ हम आपको ‘Colorful fish‘ के बारे में बता रहे हैं।
1- सियामीज फाइटर मछली

सियामीज फाइटर मछली मूल रूप से दक्षिण पूर्व एशिया, म्यांमार, थाईलैंड, और कम्बोडिया में पायी जाती है। इनका आकर 75 मिलीमीटर तक होता है और देखने में बहुत सूंदर लगती हैं इन्हें आप अपने घर और ऑफिस में एक्वेरियम में पाल सकते हैं इसे पालने के लिए बड़े टैंक की आवश्यकता नहीं होती है।
ये मछलियाँ बाकी नर मछलियों के लिए खतरनाक हो जाती है और उनपर हमला कर देती है इसलिए जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है ये लड़ाकू मछली है तो इसे अलग पालना ही उचित रहता है। भोजन के लिए भी ये ज्यादा फुर्ती नहीं दिखाती है। नर मछली के पंख मादा मछली से कम सुन्दर और मादा मछली से छोटे होते है।
इन मछली के लिए पानी का तापमान 24 से 29 डिग्री तक सही रहता है। ये सर्वाहारी होती हैं और छोटे कीड़े-मकोड़े, भोजन दाने या पपड़ी के रूप में जिसमे केंचुए और छोटे कीड़ों के टुकड़े होते हैं, खाते हैं। ये भोजन आपको बाज़ार में पैकेट्स में मिल जाता है।
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रेनबो ट्राउट एक ठन्डे पानी की विदेशी मछली है लेकिन अब भारत में भी कई इलाकों में इसका उत्पादन होता है। अगर हम भारत की बात करें तो भारत के शहर के लोगों में इस मछली की बहुत मांग है। कई प्रकार के उत्पाद बनाने में भी इस प्रजाति का बहुत ज्यादा उपयोग किया जाता है।

भारत में इन मछलियों का उत्पादन हिमालय के तराई के इलाकों, कश्मीर , कर्नाटक के पच्छिमी इलाकों के ऊपरी घाटों, तमिलनाडु और केरल के कुछ भागों में किया जाता है। ये मछलियॉँ प्रवास भी करती हैं और ठन्डे पानी से ताजे पानी में आ जाती हैं और तो और ये खारे पानी में भी ज़रुरत पड़ने पर अपने आपको ढाल सकती है।
ये मछलियॉँ जलीय व् थलीय कीड़ों , घोंघे , मछली के अंडे और छोटी-छोटी मछलियों को खाती हैं। ये 120 सेमी तक आकर में होती हैं और वजन में 25 से 26 किलोग्राम तक हो जाती हैं। इनकी उम्र 10 से 11 साल तक होती है। ये मछली कई देशों में पाली जाती है।
2- गप्पी मछली

गप्पी मछली एक बहुत ही शांत स्वभाव की मछली है। अक्वेरियम में पालने के लिए ये मछली एक आदर्श मछली है। इनके कहने के लिए आप इन्हें जीवित खाद्य पदार्थ और टीयूबीफैक्स कीड़े आप खाने के लिए दे सकते हैं। इसे आप पालने के लिए अपने अक्वेरियम में बहुत थोड़ा सा नमक मिलाकर वह भी इतना कि पानी खरा न होने पाए बहुत आसानी से पाल सकते हैं।
ये एक उष्णकटिबंधीय मछली है, इसके लिए पानी का तापमान 25 से 28 डिग्री सेल्सियस सही रहेगा। मादा मछली नर मछली से अधिक बड़ी होती है और ज्यादा रंगीन होती है और उसकी पूंछ भी नर से अधिक रंगीन होती है।
3- मौली मछली

मौली मछली ताज़ा पानी कि Colorful fish है और कई प्रकार के रंगों जैसे काला, सफ़ेद, नीला और बैंगनी में पायी जाने के कारण अक्वेरियम में पाले जाने के योग्य है। इसे सेल्फिन, मौली और लिबर्टी जैसे नामों से जाना जाता है। इनका आकर 3 से 5 इंच का होता है। ये मेक्सिको और खाड़ी तटों पर मूल रूप से पायी जाती है।
ये ज्यादा मछलियों के साथ रहना पसंद नहीं करती इसलिए इसे इसी प्रजाति कि मछलियों के साथ ही पालना अच्छा होता है। ज्यादा भीड़ में ये बुरा बर्ताव करती है। वैसे ये मछली शाकाहारी रहना ज्यादा पसंद करती है लेकिन सर्वाहारी है। हरियाली इसे पसंद है और पालक के पत्ते या हरे पत्तों को खाना पसंद करती है। इनका रंग बहुत ज्यादा चमकीला नहीं होता है।
4- गोल्ड फिश या फैन टेल

गोल्ड फिश या फैन टेल मध्य एशिया, चीन और जापान की मूल निवासी मछली है। ये ताजे पानी, नदियों, तालाबों और झीलों में बहते हुए पानी या स्थिर पानी दोनों में ही पायी जाती है। चीन और जापान में इस मछली का चयनित प्रजनन कराकर एक उप-जाति का विकास कराया गया।
इसकी आकार में चौड़ाई त्रिभुजाकार तथा नाक का आगे को उभरा हुआ भाग आँख के व्यास की तुलना में लम्बा होता है। इसका रंग ऑलिव ब्राउन, स्लेटी ऑलिव, ऑलिव ग्रीन , सिल्वर ग्रे , ग्रे यलो, गोल्डन और क्रीमी वाइट होता है। ये औसतन 15 से 20 सेमी और अधिकतम 59 सेमी तक हो सकती हैं।
इनके लिए पानी का तापमान 17 से 28 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। ये मछली सर्वाहारी होती है और सूखा भोजन ज्यादा पसंद करती है। हरा भोजन और छोटे कीड़े, छोटे पौधे, खाना इन्हें पसंद है।
5- पलैटी मछली

पलैटी मछली देखने में मौली मछली की तरह ही दिखाई देती है लेकिन इसके डोरसल पंख मौली से छोटे होते हैं। इसे मून फिश भी कहते हैं। ये 6 रंगों में जिनमे नीला , रंग-बिरंगी, गोल्डन, पीला, लाल प्रमुख हैं। ये बहुत रंगीन मछली है, ये और प्रजाति की मछलियों के साथ प्रजनन करके कई रंगों में पैदा होती है।
इसमें नर ज्यादा चटकीले और मादा का रंग हल्का होता है। पीले शरीर और लाल पूंछ वाले नर अक्वेरियम में बहुत पाले जाते हैं। इनका रंग 10 महीने के बाद ही स्थिर होता है उससे पहले उसमे बदलाव होता रहता है। इनका आकार 1.5 से 2 इंच तक होता है।
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6- कोइ कॉर्प मछली

कोइ कॉर्प मछली मीठे और खरे पानी दोनों ही जगह आराम से रहती है ये मछली ताल में रहना ज्यादा पसंद करती है। मूल रूप से ये थाईलैंड और जापान में पायी जाती है। इनका आकार 50 से 120 सेमी तक होता है और 22 से 32 डिग्री सेल्सियस तक आराम से सह लेती हैं।
ये सर्वाहारी होती हैं और जल में डूबे हुए ताल में रहने वाले जीवित कीड़े-मकोड़े खाना इन्हें पसंद है। ये मछली अंडे देती है लेकिन अपने अण्डों की रक्षा नहीं करती है। मादा मछली 3 लाख तक अंडे दे देती है। भारत में ये आसानी से मिल जाती हैं। इनकी विभिन्न प्रजातियों के जापानी नाम होते हैं और इनमे कोहाकू लाल तथा सफ़ेद बहुत ज्यादा पसंद की जाती है। इसके अलावा भी ये और रंगों में पायी जाती हैं।
7- मिरर कॉर्प मछली

मिरर कॉर्प मछली पूरे विश्व में फैली हुई है इसमें काफी तेज़ी से वृद्धि होती है। इसका पेट गहरा और पीठ ऊँची होती है इनमे मुंह के दोनों तरफ बारबेल्स लटके हुए होते हैं। चनात्मक रूप से शरीर छोटा होता है। ये तापमान के परिवर्तन को आसानी से सह लेती है इसलिए भारत में हर स्थान पर पाली जाती है।
ये एक सख्त मछली है और विषम परिस्थितियों को सहने की क्षमता रखती है। ताज़ा पानी जो मटमैला सा हो उसमे रहना पसंद करती है। इसका अधिकतम भार 35 किलो तक हो जाता है और आकर 120सेमी तक पाया जाता है। ये पानी के ताल को खोदकर मिटटी में से भोजन को निकालती है।
ये पानी के ताल में उगते हुए पौधों को उखाड़कर पानी का मटमैलापन और बढ़ा देती है। ये कीड़े, जलीय पौधे, शैवाल तथा बीजों को खाती है। ये ग्रीष्म ऋतू में जलीय पौधों में पीले रंग के अंडे देती है जो पौधों से चिपक जाते हैं और मादा के साथ कई सारे नर इन अण्डों को निषेचित करते हैं।एक मादा मछली एक बार में 10 लाख से भी ज्यादा अंडे दे सकती है।
8- एरोवाना मछली

एरोवाना मछली को ड्रेगन फिश भी कहा जाता है और ये मछली आज आसानी से नहीं मिलती है इसे अपने एक्वेरियम में रखना मंहगा पड़ता है। इसे घर में पालना धन, शक्ति और सौभाग्य का सूचक माना जाता है। कहा जाता है एरोवाना मछली को भूकंप के आने से पहले ही पता चल जाता है और ये तलहटी में बैठ जाती है।
9- ब्लैकमूर मछली

ब्लैकमूर मछली को आप अपने एक्वेरियम में ज़रूर रखें, ये मछली आपके घर से सारी निगेटिव ऊर्जा को हटाकर पोजेटिव ऊर्जा सेभर देती है। देखने में भी ये मछली बहुत सूंदर होती है। इसकी आँखें दूबीन की तरह आगे को निकली हुई सी लगती हैं और ये मछली देखने में फेन्सी गोल्ड फिश की तरह लगती है।
10- फ्लावर हार्न मछली

फ्लावर हार्न मछली एक आक्रामक मछली है इसे आप अकेले ही पाल सकते हैं ये इतनी ज्यादा गुस्सैल होती है कि दूसरी साथ की मछली को ये मार देती है इसे ब्रीडिंग के लिए ही कुछ घंटों के लिए इसकी साथी मछली के साथ लाया जाता है। अगर अक्वेरियम में इस मछली को आप ऊँगली दिखाएंगे तो ये मछली आपकी ऊँगली के साथ प्रतिक्रिया करेगी क्योंकि वह इसे अपना शिकार समझती है।
ये एक मांसाहारी मछली है। इसे 1993 के करीब मलेशिया में तीन प्रजातियों की ब्रीडिंग से तैयार किया गया था। इस मछली में सीखने की क्षमता भी होती है और कुछ समय आपके साथ रहकर आपके इशारे को समझकर जवाब भी देती है इसलिए बच्चे इसके साथ बहुत खुश रहते हैं।
11- कोरी कैटफिश

कोरी कैटफिश देखने में बहुत खूबसूरत लगती हैं अगर आपका अक्वेरियम थोड़ा बड़ा है तो आप इन्हें ज़रूर पालें ये मछलियाँ समुदाय में रहना पसंद करती हैं। इन मछलियों को आप रात में भी सक्रीय देख सकते हैं। ये आपके अक्वेरियम की तलहटी में जो शैवाल जमा हो जाती है उसे खाती हैं इसतरह से ये आपके अक्वेरियम की सफाई भी करती हैं।
12- एंजल फिश

एंजल फिश विभिन्न आकार और रंगों Colorful fish में मिलती हैं इन्हें आप अपने एक्वेरियम के साइज़ के आकार के हिसाब से पालने के लिए चुन सकते हैं अगर आपके पास छोटा अक्वेरियम है तो इसकी छोटी प्रजाति का चुनाव करें और यदि बड़ा एक्वेरियम है तो आप इसकी बड़ी प्रजाति का चुनाव भी कर सकते हैं। ये मछलियाँ सुन्दर प्रजाति में आती हैं लेकिन ये कुछ धीमी होती हैं।
13- किलिफिश

किलिफिश की अधिकाँश किस्मे चमकीली होती हैं सुंदरता के मामले में तो इस मछली का क्या कहना आप इसे अपने एक्वेरियम की शोभा ज़रूर बनाये। ये अन्य दूसरी नस्लों के प्रति बहुत ही शांतिपूर्ण हैं। ये मीठे पानी में रहने वाली मछली है इस मछली का सामुदायिक होना लोगों के बीच इस्क्के पसंद करने का कारण है।
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